90 के दशक के इस दमदार विलन को नहीं मिल रहा काम, मजबूरी में करना पद रहा ये छोटा काम

90 के दशक के इस दमदार विलन को नहीं मिल रहा काम, मजबूरी में करना पद रहा ये छोटा काम

90 के दशक के इस दमदार विलन को नहीं मिल रहा काम– 19 जून 1962 को आशीष विद्यार्थी का जन्म दिल्ली में हुआ था। उनका पूरा जीवन जन्म से लेकर शिक्षा तक दिल्ली में बीता। आशीष का जन्म एक मलयाली पिता और एक बंगाली मां से हुआ था।

पिता गोविंद विद्यार्थी ने संगीत नाटक अकादमी के लिए भारत की लुप्त हो रही प्रदर्शन कलाओं को सूचीबद्ध और संग्रहीत किया, जबकि मां रेबा विद्यार्थी एक प्रसिद्ध कथक गुरु थीं। बचपन में आशीष को क्रिकेट खेलने में मजा आता था, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें एक्टिंग में ज्यादा दिलचस्पी हो गई।

अपने अभिनय के शौक के तहत, आशीष विद्यार्थी ने 1990 में दिल्ली के राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) में दाखिला लिया। आशीष ने NSD करते समय एक हिंदी फिल्म में अभिनय किया।

नतीजतन, वह 1992 में मुंबई चले गए। अपनी पहली फिल्म के लिए, उन्होंने 1993 में द्रोहकाल की भूमिका निभाई, जो सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन पर आधारित थी और सिविल सेवक वी.पी. मेनन के रूप में अभिनय किया था।

फिल्मी करियर की शुरुआत:1991 में आई फिल्म ‘काल संध्या’ से आशीष विद्यार्थी ने बॉलीवुड में डेब्यू किया। इस फिल्म में उन्होंने एक पुलिस अफसर की भूमिका निभाई थी।

वो अब तक ‘1942: ए लव स्टोरी’, ‘सरदार’, ‘ओह डार्लिंग ये है इंडिया’, ‘बाजी’, ‘जीत’, ‘भाई’, ‘मृत्युदाता’, ‘जिद्दी’, ‘मेजर साब’, ‘सोल्जर’ ‘, ‘अर्जुन पंडित’, ‘जंक’, ‘वास्तव’, ‘बादल’, ‘बिछू’, ‘कहो ना प्यार है’, रिफ्यूजी, ‘जोड़ी नंबर 1’, LOC: कारगिल, ‘दम’, ‘रक्तचरित्र’ ‘बर्फी’ ‘आर राजकुमार’, ‘हैदर’ और ‘अलीगढ़’ जैसी बेहतरीन फिल्मों में कई शानदार किरदार निभा चुकी हैं।

‘राष्ट्रीय पुरस्कार’ जीत चुके हैंआशीष विद्यार्थी द्वारा हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, मराठी, बंगाली और उड़िया सहित 11 विभिन्न भाषाओं में 300 से अधिक फिल्मों की शूटिंग की गई है।

आशीष अपनी नकारात्मक भूमिकाओं के अलावा चरित्र भूमिकाएं निभाने के लिए भी जाने जाते हैं। 1995 में, उन्हें हिंदी फिल्म ‘द्रोहकाल’ में उनके अभिनय के लिए ‘राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार’ के लिए नामांकित किया गया था।

आशीष कहाँ है और क्या कर रहा है?:लंबे समय से आशीष विद्यार्थी कुछ ही हिंदी फिल्मों में नजर आए हैं। इसलिए उन्हें बहुत कम काम मिल रहा है। उन्हें आखिरी बार किसी हिंदी फिल्म में आए दस साल हो चुके हैं। इसके बावजूद आशीष साउथ फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं।

आशीष मोटिवेशनल स्पीकर होने के साथ-साथ स्पोर्ट्स कोच भी हैं। द एविड माइनर कन्वर्सेशन ऑर्गनाइजेशन भी उनके द्वारा स्थापित और क्यूरेट किया गया था। आशीष पिछले कुछ सालों से अपने यूट्यूब चैनल के जरिए हमेशा एक्टिव रहे हैं। इसके अलावा वह अब अपना ज्यादातर समय घूमने में भी बिताने लगे हैं।

साल 2021 के दौरान आशीष विद्यार्थी ने एक वीडियो शेयर किया, जिसमें उन्होंने कहा कि प्रशंसक अक्सर पूछते हैं कि वह हिंदी फिल्में क्यों नहीं करते?

इसके जवाब में उन्होंने कहा कि उन्हें हिंदी फिल्मों के ऑफर नहीं मिल रहे थे, क्योंकि वह अच्छा काम करना चाहते थे। अन्य कलाकारों की तरह मैं भी एक ओटीटी वेब सीरीज पर काम करना चाहूंगा। मेरे लिए एक अच्छी नौकरी खोजना महत्वपूर्ण है।

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