Nalanda University में कभी एक डिग्री के लिए पार करने पड़ते थे 7 दरवाजे, अभी भी पढ़ते है 10,000 छात्र, देखिए- खूबसूरत तस्वीरें
एक समय था जब दुनिया के कोने-कोने से लोग शिक्षा ग्रहण करने भारत आते थे। हम कह सकते हैं कि तब शिक्षा के क्षेत्र में भारत का डंका बजता था। हम बात कर रहे हैं नालंदा यूनिवर्सिटी (Nalanda University) की। यहां ज्ञान का भंडार था। इस यूनिवर्सिटी में पढ़कर लोग देश-विदेश में नाम कमाते थे। लेकिन फिर न जाने किसकी नजर लग गई। 12वीं शताब्दी में आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने इसे नष्ट कर दिया था। लेकिन सरकार इसे फिर से उसी रूप में लौटाने की कोशिश कर रही है। आइए आज इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
गौरतलब है कि दुनिया के शिक्षा के केंद्र रहे इस विश्वविद्यालय का पुनरूद्धार एक बार फिर सरकार द्वारा किया जा रहा है। वर्ष 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने इसे पुनर्जीवित करने का प्रस्ताव रखा था। जिसके बाद फिर से इस पर काम शुरू हुआ। सरकार ने पिछले साल जो जानकारी दी थी, उसके मुताबिक 2025-26 तक इसका काम पूरा हो जाएगा।
बता दें कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं शताब्दी में गुप्त काल के दौरान हुई थी। तब कुमारगुप्त प्रथम ने इसकी नींव रखी थी और उस समय यह विश्व का पहला आवासीय विश्वविद्यालय बना था। विश्वविद्यालय काफी बड़ा था और उसमें कई कमरे थे। यहाँ सात बड़े कमरे थे। इसके अलावा यहां की लाइब्रेरी लगभग 9 मंजिला घर जितनी बड़ी थी। जिसे धर्म गुंज कहा जाता था।
उस समय नालंदा विश्वविद्यालय पूरी दुनिया में ज्ञान का केंद्र हुआ करता था और दुनिया भर से छात्र यहां पढ़ने आते थे। यहां एक साथ 10 हजार से ज्यादा छात्र पढ़ते थे। जिन्हें पढ़ाने के लिए 2700 से ज्यादा शिक्षक थे। विश्व के अनेक विद्वानों ने यहीं से शिक्षा ग्रहण की है।