इस मंदिर में देवी भगवती हजारों वर्षों से पहाड़ी क्षेत्रों की रक्षा करते आ रहे है, जहा दर्शन करने से ही हो जाते सभी रोग दूर..

उत्तराखंड में कई ऐसे मंदिर हैं जिनके रहस्यों को समझना आसान नहीं है। सुनने और देखने से ही ईश्वर में आस्था बढ़ती है। ऐसे ही एक मंदिर की कहानी हम साझा कर रहे हैं जो उत्तराखंड में है। ऐसा माना जाता है कि देवी भगवती हजारों वर्षों से इन पहाड़ी क्षेत्रों की रक्षा करती आ रही हैं। तो आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से।
हम आपको जिस मंदिर के बारे में बता रहे हैं वह नैनीताल में है। इस मंदिर को पाषाण देवी के नाम से जाना जाता है। देवी को 9 रूपों में देखा जाता है। यहां नैनी झील के किनारे एक चट्टान पर मां भगवती की मूर्ति बनी है। जो प्रकृति द्वारा ही निर्मित है। माना जाता है कि यहां मातरानी पहाड़ी इलाकों की रक्षा करते हुए हजारों साल से रह रही है। मंदिर परिसर में ही नौ पिंडियां हैं, जिन्हें मां के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है। इस मंदिर में मां रानी लहंगे की चुनरी की जगह सिंदूर पहनती हैं।
स्थानीय निवासियों के अनुसार एक बार एक अंग्रेज इस सड़क से गुजर रहा था। फिर उसने इस मंदिर को देखा और छोटे से मंदिर का मजाक उड़ाने लगा। ऐसा होते ही वह अपने घोड़े के साथ झील में गिर पड़ा। इसके बाद उन्होंने देवी भगवती से क्षमा की प्रार्थना की। तब वह झील छोड़ सकता है। जैसे ही वह बाहर निकला, उसने अपनी माँ के दरबार में सिर झुकाया और फिर वह आगे बढ़ सका।
ऐसा माना जाता है कि गंभीर त्वचा रोगों से पीड़ित लोगों को भी इस मंदिर में जाना चाहिए। इसके बाद यदि वह माता के प्रदत्त जल से स्नान करे तो उसके चर्म के सभी रोग दूर हो जाते हैं। यही कारण है कि देश भर से श्रद्धालु यहां आते हैं और मां को दिए जल में स्नान करते हैं। या वे जो जानते हैं उसके लिए यह पानी लेते हैं। साथ ही यहां हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है। लेकिन नवरात्रि में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है।